14 नवंबर 2010

चर्चित गीतकार श्री शिवभजन "कमलेश"
का काव्य-पाठ




नई और पुरानी पीढ़ी के बीच होने वाले वैचारिक मतभेदों पर आधारित विचारपरक गीत "कोई अर्थ नहीं निकलेगा" को चर्चित गीतकार श्री शिवभजन "कमलेश" से उनके स्वर में आस्वादन कीजिए।


4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर गीत है!
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    बाल दिवस की शुभकामनाएँ!

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  2. सुंदर गीत के लिए कमलेश जी को तथा बेहतरीन प्रस्तुति के लिए डंडा जी को बधाई|एक शेर'अर्ज है -
    "मेरी नज़रों का धोखा है, लगता सब उल्टा-पुल्टा |
    उनकी नज़रों से देखो तो, सब कुछ कितना सीधा है |"
    -अरुण मिश्र,

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  3. सच बात है अब युग बदल गया है और हमें दकियानूसी से बचना होगा ..कानाफूसी से कोई अर्थ नही निकलेगा....बहुत बढ़िया रचना और बढ़िया गान प्रस्तुति....बधाई

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