08 नवंबर 2010
दिवाली मुबारक
-डॉ० डंडा लखनवी
नई रोशनी नव, प्रणाली मुबारक।
दिवाली मुबारक, दिवाली मुबारक॥
हुए खेल ही खेल में खेल कितने-
"फ्री - इंडिया" में दलाली मुबारक॥
प्रधानी मिली चन्द कट्टों के बल पे-
दिवाली में आई दुनाली मुबारक॥
सभी काम उनके हैं होते फटाफट-
तुम्हारे में हीलाहवाली मुबारक॥
ओबामा जी लाए दिवाली का तोहफ़ा-
मिले जो भी डाली वो डाली मुबारक॥
गबन में हुए थे जो परसों मुअत्तल-
हुई आज उनकी बहाली मुबारक॥
घर आई हुई "लक्ष्मी" का है स्वागत-
अगर वो है "काली" तो काली मुबारक॥
असरदार गण के हैं सरदार "गणपति"-
सभी छवियाँ उनकी निराली मुबारक॥
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आपको प्रकाश पर्व की बधाई और शुभकामनाएं ...
जवाब देंहटाएंआप अपने लेखन से ब्लॉग जगत और अंतर्जाल को आलोकित करते रहें
दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ग़ज़ल है ...
नई रोशनी नव, प्रणाली मुबारक।
जवाब देंहटाएंदिवाली मुबारक, दिवाली मुबारक॥
आपको एव आपके परिवार को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं!
बहुत सुन्दर रचना है!
जवाब देंहटाएं--
प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।
अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।
आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
आपको इस प्रकाश पर्व पर बधाई
जवाब देंहटाएंदीपपर्व की शुभकामनाएं भाई जी !
जवाब देंहटाएं"दें गणेश जी विमल बुद्धि,
जवाब देंहटाएंलक्ष्मी मइया शुभ धन दें|
खील,बताशों, ख़ुशियों से,
भर हर घर का आँगन दें||"
सशक्त व्यंग्य के लिए बधाई|आप को भी दीपावली मंगलमय हो|
- अरुण मिश्र.
सुन्दर अति सुन्दर.
जवाब देंहटाएंसुहानी लगे हर गली आपको,
लगे फूल-सी हर कली आपको,
सुखी रक्खें बजरंगबली आपको,
मुबारक हो दीपावली आपको.
कुँवर कुसुमेश
घर आई हुई "लक्ष्मी" का है स्वागत-
जवाब देंहटाएंकमाई है काली तो काली मुबारक॥
सुन्दर व्यंग्य के लिए बधाई!
हुज़ूर कमाल की गज़ल कही है आपने...हर शेर ऐसा है गोया किसी ने जूता भिगो के मारा हो...तंज को चाशनी में घोल कर परोसने का हुनर कोई आपसे सीखे...लाजवाब गज़ल...दाद कबूल करे और साथ ही दीवाली की शुभकामनाएं भी...
जवाब देंहटाएंनीरज
"गबन में हुए थे जो परसों मुअत्तल
जवाब देंहटाएंहुई आज उनकी बहाली मुबारक।"
भारतीय राजनीति और न्याय व्यवस्था के खोखलेपन की ओर इंगित करती गज़ल बेहद पसंद आई। डा.साब को दीपावली की शुभकामनाएं।
bahot achcha likhe hain.
जवाब देंहटाएंगबन में हुए थे जो परसों मुअत्तल-
जवाब देंहटाएंहुई आज उनकी बहाली मुबारक॥
दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं
लखनवी जी , मेरे ब्लॉग पर आने और टिप्पणी के लिए धन्यवाद ...ऐसे ही निरंतर प्रोत्साहन की आशा है ...शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआपकी रचना भी सुंदर भाव लिए ,गहरे अर्थ संप्रेषित करती है
kahan ho bade bhai ! aaj aap se blog par milkar varshon pahle anek manchon par sath-sath rahna aur kavi sammelano ko jamaana---sari yaaden taza ho gayeen.. mitr ek baar milne ka man karta hai.. zindgi to badi mushkilon se nikal rahi hai..beemari ne saath nahi chhoda ab tak ..
जवाब देंहटाएंaap apni bataiyega..
rachna to shandar hai hi..
डा ० साहब बहुत ही करारा व्यंग्य लिखे हैं आपने ! ये आपकी लेखनी का ही कमाल है की दुनाली भी मुबारक और दिवाली भी मुबारक ! शुभ कामनाएं ! बहुत बहुत आभार !!
जवाब देंहटाएंमैंने अभी अभी एक ब्लॉग पर टिप्पणी स्वरूप आपका निम्न व्यंग पढ़ा.
जवाब देंहटाएंक्या कहने हैं, मज़ा आ गया
"नए दौर में ये इजाफ़ा हुआ है।
जो बोरा कभी था लिफ़ाफ़ा हुआ है॥
जिन्हें शौक है थूकने - चाटने का
वो कहते हैं इससे मुनाफ़ा हुआ है॥"
आए पहली बार मिली ढेरों मुबारक
जवाब देंहटाएंवाह मुबारक वाह वाह वाह मुबारक