-डॉ० डंडा लखनवी
साहित्य के क्षेत्र में कदम रखते ही कुछ उत्साही कलमकार तत्काल धन और यश की कामना करने लगते हैं। जब मनोकामना की पूर्ती नहीं होती है तो उनमें निराशा घर कर जाती है। इस संबंध मेरा मानना है कि साहित्य-लेखन एक साधना है। इसमें सिद्धि प्राप्त करने के लिए प्रतिभा के साथ लगन और धैर्य की आवश्यकता होती है। किसी को रचना लिखने के पूर्व लेखक को सोचना चाहिए कि क्या लिखना है और क्यों लिखना है। प्रयोजन स्पष्ट होगा तो लक्ष्य तक पहुँचना आसान होता है। लेखक को लेखन परंपरा का ज्ञान होना आवश्यक है। इसके लिए उसे खूब अध्ययन करना चाहिए। वरिष्ठ साहित्यकारों की संगति से भी कुछ लाभ मिल सकता है।
मनुष्य प्रशंसाप्रिय प्राणी है। प्रशंसा उसे उत्साहित करती है। वहीं थोथी प्रशंसा उसे गुमराह भी कर सकती है। ब्लागों की भीड़ में फालोवर जुटाने से कलमकार को बहुत कुछ हासिल होने वाला नहीं है। भीड़ प्रोत्साहित करती है, मार्गदर्शन नहीं। अत: भीड़ से प्रशंसा हासिल करना आत्म-सम्मोहित होना है। इस क्षेत्र के नवागंतुकों को विषय-मर्मज्ञ के द्वारा उनकी कला के गुण-दोषों को उजागर करने वाली टिप्पणी महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है। इस तथ्य की पुष्टि में महाकवि वृंद के एक दोहे का उल्लेख करना यहाँ पर्याप्त होगा-
साथियो! आपका पुरषार्थ व्यर्थ नहीं जाएगा। अतएव आप अपनी प्रतिभा और लेखन-क्षमता को पहचानिए। धैर्य पूर्वक आप अपना काम निरंतर करते रहिए। कुछ ही वर्षों में यश और सम्मान आपका स्वमेव अनुगमन करेगा। अंत में अपनी गज़ल के एक शेर से इस आलेख को विराम देता हूँ-
साहित्य के क्षेत्र में कदम रखते ही कुछ उत्साही कलमकार तत्काल धन और यश की कामना करने लगते हैं। जब मनोकामना की पूर्ती नहीं होती है तो उनमें निराशा घर कर जाती है। इस संबंध मेरा मानना है कि साहित्य-लेखन एक साधना है। इसमें सिद्धि प्राप्त करने के लिए प्रतिभा के साथ लगन और धैर्य की आवश्यकता होती है। किसी को रचना लिखने के पूर्व लेखक को सोचना चाहिए कि क्या लिखना है और क्यों लिखना है। प्रयोजन स्पष्ट होगा तो लक्ष्य तक पहुँचना आसान होता है। लेखक को लेखन परंपरा का ज्ञान होना आवश्यक है। इसके लिए उसे खूब अध्ययन करना चाहिए। वरिष्ठ साहित्यकारों की संगति से भी कुछ लाभ मिल सकता है।
प्रसिद्ध उपन्यासकार स्वर्गीय अमृतलाल नागर ने मुझे सुझाव दिया था- "किसी रचना के लिखने के बाद उसे तत्काल प्रकाशित मत कराओ। कुछ दिनों के लिए उसे फाइल में दबा कर रख दो।" मैंने उनसे पूछा- "इस सुझाव के पीछे आपका क्या मंतव्य है।" उन्होंने कहा- "जल्दबाजी में रचना में अनेक ऐसे अनेक तथ्य छूट जाते हैं जिनके समावेश से रचना में चार-चाँद लग सकना संभव होता है। यदि आप आज लिखी रचना को कुछ माह बाद पढ़ोगे तो अनेक खामियाँ अपने आप पकड़ में आ जाएंगी। परिमार्जन लेखन प्रक्रिया का अंग है। बड़े से बड़े साहित्यकार को अपनी रचनाओं में परिमार्जन करना पड़ना है।"
मनुष्य प्रशंसाप्रिय प्राणी है। प्रशंसा उसे उत्साहित करती है। वहीं थोथी प्रशंसा उसे गुमराह भी कर सकती है। ब्लागों की भीड़ में फालोवर जुटाने से कलमकार को बहुत कुछ हासिल होने वाला नहीं है। भीड़ प्रोत्साहित करती है, मार्गदर्शन नहीं। अत: भीड़ से प्रशंसा हासिल करना आत्म-सम्मोहित होना है। इस क्षेत्र के नवागंतुकों को विषय-मर्मज्ञ के द्वारा उनकी कला के गुण-दोषों को उजागर करने वाली टिप्पणी महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है। इस तथ्य की पुष्टि में महाकवि वृंद के एक दोहे का उल्लेख करना यहाँ पर्याप्त होगा-
"सरस कविन के चित्त को, वेधत हैं द्वै कौन।
असमझदार सराहिबो, समझदार को मौन॥"
साथियो! आपका पुरषार्थ व्यर्थ नहीं जाएगा। अतएव आप अपनी प्रतिभा और लेखन-क्षमता को पहचानिए। धैर्य पूर्वक आप अपना काम निरंतर करते रहिए। कुछ ही वर्षों में यश और सम्मान आपका स्वमेव अनुगमन करेगा। अंत में अपनी गज़ल के एक शेर से इस आलेख को विराम देता हूँ-
"अगर के बाटोगे आप खुशबू तो हाथ महकेंगे आपके भी।"
नागर जी की सीख गाँठ बाँध कर रखने योग्य है...सुन्दर विचार...
जवाब देंहटाएंनीरज
आप अनुभवी साहित्यकार ही हमारे लेखन को सही दिशा दे सकते है | मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंbahut hi sarthak lekh hai bade bhai!
जवाब देंहटाएंsabhi naye rachnakaron ko prerna leni chahiye is sundar lekh se.
सर, आपने ब्लॉगजगत के साथियों (किसी भी लेखकों) के लिए आवश्यक मार्गदर्शन किया है.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका.
डंडा जी, आपका जवाब नहीं।
जवाब देंहटाएंहार्दिक शुभकामनाएं।
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ज्योतिष,अंकविद्या,हस्तरेख,टोना-टोटका।
सांपों को दूध पिलाना पुण्य का काम है ?
मार्गदर्शन के लिए आभार
जवाब देंहटाएंbahut khoob!! achhi lagi post..
जवाब देंहटाएंdhanybad mahoday magar mai kitna wait karu ab to maine hindi mai bhi likhna start kar diya hai
जवाब देंहटाएंmera hindi blig hai
kavya marwari ke shabdo ki udhan
link- marwarikavya.blogspot.com
सबसे पहले आपका बहुत बहुत धन्यवाद, प्रोत्साहन के लिए. आपके लेख में लिखी बात मैं समझ गया..
जवाब देंहटाएंआपको श्री अमृतलाल नागर जी ने जो सलाह दी ऐसी बात हमलोग करते थे जब कोई reserach paper कहीं भेजना होता था तो गलतियाँ कम हो जाती थीं और उस काम को publish करना आसान हो जता था. मेरे Ph D supervisor हमेशा कहते थे ऐसा ही करने को....मैं इस बात का ध्यान रखूंगा.
आपके आशीर्वाद और स्नेह का इच्छुक
राजेश
सार्थक सलाह ..... हर लिखने वाले का मार्गदर्शन करने वाली पोस्ट..... आभार
जवाब देंहटाएंbahut achchi baat bataye hain aap.
जवाब देंहटाएंइस शमा को जलाए रखें।
जवाब देंहटाएंऔर हां, क्या आपको मालूम है कि हिन्दी के सर्वाधिक चर्चित ब्लॉग कौन से हैं?
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
जवाब देंहटाएंbahut hi upyogi jankari di hai aapne
aabhar
आदरणीय डॉ. डंडा लखनवी जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
आपके यहां श्रेष्ठ काव्य लेखन की प्यास तो आज पूरी नहीं हुई, … कुछ पुरानी पोस्ट्स फिर पढ़ी है ।
ब्लॉग जगत में कई बातों का झमेला चलता रहता है ,
कोई अपने यहां विजिट्स ज़्यादा दिखाना चाहता है,
कोई स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ रचनाकार बताना चाहता है,
कई लोग पोस्ट पर डालने के लिए कुछ सामान न होने के बावजूद कमेंट और फॉलोअर पाने के लिए जुगत भिड़ाने में लगे रहते हैं … और सफल भी हो जाते हैं ।
ऐसे भी अनेक गुणी हैं , जिनके यहां लोग न के बराबर पहुंचते हैं ।
मैंने मेरे ब्लॉगरोल में कुछ लिंक दे रखे हैं ।
कुल मिला कर एक बात है… राजस्थानी की एक कहावत है- घी अंधेरे में भी छुपा नहीं रहता ,ख़ुशबू से ही पहचान लिया जाता है !
बहुत बढ़िया पोस्ट के लिए बधाई !
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
मार्गदर्शन के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंबुजुर्गों की माना सलाहें बहुत हैं.
जवाब देंहटाएंमगर लिखने वालों की आहें बहुत हैं.
चलने का हौसला रुके हुए कदम को ख़ुद ब खद आगे बढ़ा देता है. अपनी नाकामी से हारना ना सीख कर, अपनी कमी को सुधारनेवाले अपने जीवन में जरुर सफल होते हैं |
जवाब देंहटाएंआपकी सलाह हर पाठक के लिए कमियों में सुधार के लिए वरदान सामान सिद्ध हों.......
आभार आपका ........
आपकी ये बात मैंने गांठ बांध कर रख ली है...... बहुत ही अच्छी बात आप कह रहे है. सच आलोचना ही लिखने की धार को तेज कर सकती है. आभार.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभारी हूँ ...स्नेह बनाए रखे
जवाब देंहटाएंडाक्टर साहिब,आप का डंडा आलेख हम जैसे नए ब्लागरों की आँखें खोलने के लिए निहायत जरूरी था.तहे दिल से शुक्रिया.आप की कलम को सलाम.
जवाब देंहटाएंआपकी किसी ब्लॉग पर टिप्पणी पढ़ कर आपके ब्लॉग पर आना हुआ.. बेहद प्रभावशाली पोस्ट है आपकी यह...बहुत बहुत साधुवाद आपको ..लेखन की उत्कृष्टता के लिए जरूरी आयामों से परिचित करवाया आपने ..
जवाब देंहटाएंअच्छा और सार्थक उद्बोधन। साधुवाद।
जवाब देंहटाएंSateek !
जवाब देंहटाएंDanda ji
जवाब देंहटाएंaapke sujhaav kabile gaur evam kabile tareef hain
आपके लेखन, परामर्श और मार्गदर्शन के लिए सभी ने आभार जताया है। जो जरूरी भी है। ज्ञान एवं अनुभव को बांटने वालों की आज समाज में अत्यन्त जरूरत है। हर पीढी को इस बात की जरूरत होगी।
जवाब देंहटाएंआपने प्रोत्साहन एवं मार्गदर्शन को समझाने का प्रयास किया है। वहीं सच्ची प्रशंसा का महत्व भी रेखांकित किया है। इस सबके लिए मेरी ओर से भी आभार स्वीकार करें।
इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती कि आलोचना और प्रशंसा दोनों का अपनी जगह पर महत्व है, लेकिन न तो खोखली आलोचना और न हीं दिखावटी प्रशंसा किसी का भला कर सकती है।
अत: मेरा स्पष्ट तौर पर मानना है कि मानना है कि कम से कम सच्ची प्रशंसा करने में कभी भी कंजूसी नहीं करनी चाहिये और आलोचना करते समझ सही शब्दों का चयन करना चाहिये, क्योंकि आज की पीढी में सहने और शान्तिपूर्वक समझने की क्षमता तुलनात्मक रूप से कम है (यह भी एक आलोचना ही है), लेकिन युवा पीढी में चुनौतियों को झेलने की क्षमता उत्साहजनक है।
डॉ. लखनवी जी का आलेख सराहनीय और अनुकरणीय है। जिसके लिए फिर से आभार, साधुवाद और धन्यवाद स्वीकार करें।
मैं आपसे पुर्णतः सहमत हूँ .सस्ती लोकप्रियता और क्षणिक प्रसंसा अस्थाई ख़ुशी ही देती है जो की यहाँ (ब्लॉग जगत
जवाब देंहटाएं) दीखता है ...सुन्दर ब्लॉग ..बधाई
aapne bilkul sahi kaha hai .margdershan k liye shukriya.*******
जवाब देंहटाएंउल्लेखनीय पोस्ट और ब्लॉग में अगर होड़ा होड़ी है तो आँख खोलने वाली पोस्ट है... अमृत लाल नगर जी की बात तो गाँठ बाँध कर रखी जानी चाहिये| आपने यह हम सभी से साझा किया ...आपका आभार... अभी ब्लॉग में ३-४ महीने से हूँ .. और मेरा मकसद उत्कृष्ट लेखन है जो रुचिकर भी हो ... मै आपकी बातों से सोलह आने सहमत हूँ किन्तु में अपने मकसद में कामयाब होती की नहीं किन्तु मैं भी किसी तरह की दौड में नहीं...
जवाब देंहटाएंआपका लेख दिल को छू गया ......
कल आपका लेख चर्चामंच पर होगा ... इतनी सुन्दर शिक्षाप्रद बात को शेयर करने के लिए आपका आभार ..
http://charchamanch.blogspot.com
आपकी सभी कवितायेँ और यह आलेख शिक्षाप्रद हैं.सब को इनसे लाभ उठाना चाहिए.
जवाब देंहटाएंइस लेख में आपने हमारे मन की ही बातें बता दीं.
आपकी बातों से सहमत हूँ। वाकई हमें लिखते वक्त इन बातों का ध्यान रखना चाहिए. मेरा ये भी मानना है कि टिप्पणी और फोलोअर्स की संख्या से किसी भी ब्लॉगर की लेखन क्षमता और साहित्यिक ज्ञान का आकलन करना ग़लत है। ऐसे बहुत से लेखक हैं जिनके फोलोअर्स की संख्या काफ़ी कम है साथ ही उनके लिखे हुए पर टिप्पणियों की संख्या भी कम होती है लेकिन उनका लेखन उच्च कोटि का होता है।
जवाब देंहटाएंbahut sahi bat kah rahe hain aap,prernadayak post.
जवाब देंहटाएंमार्गदर्शन के लिए आभार |
जवाब देंहटाएंapke blog par aakar bahut acha laga sir.bahut achi jankari mili bahut bahut aabhar.............
जवाब देंहटाएंशब्दशः मेरे मन की कह दी आपने...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सही कहा...
बहुत ही सुंदर और अवश्यक मार्गदर्शन..!!! हार्दिक धन्यवाद..!!
जवाब देंहटाएंमूल्यवान जानकारी आपसे मिली | धन्यबाद व शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंhttp://vijaymadhur.blogspot.com
sahitya ke pratiphal sarjak ko apni jindgi mai
जवाब देंहटाएंshayad hi miltey hai is khyaal se apka sujhav sarahnia hain lakin kuch ko apriya bhi lag sakta khair sach kehna sahitya ka mool hai,atha apko dhanyabad.
maargdarshaatmak aalekh ke liye aabhaar.....
जवाब देंहटाएंअमृत लाल नागर जी की बात व्यवहार में लाने वाली है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंगाँठ तो हमने शायद पहले से भी बाँधी हुई थी....मगर यह सीख शायद उसे और पक्का कर गयी....इसके लिए आपका आभार....और हाँ पाँव-धोक भी....
जवाब देंहटाएंश्री अमृत लाल नागर जी की बात एक मंत्र के समान है। वाकई बहुत अच्छी सलाह आपने दी है। नए लेखकों के लिए गुरु मंत्र दिया है आपने । बहुत धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंअगर के बाटोगे आप खुशबू तो हाथ महकेंगे आपके भी।
जवाब देंहटाएंati uttam vichar ,apna asar chhod gaye .
नमन आपको हे अनुभवी साहित्यकार
जवाब देंहटाएंअहा! कितना सुन्दर अद्भुत विचार
निराशा में किया आशा का संचार
खुश नसीबी मेरी आप मेरे ब्लॉग पे आये
लेकर प्यार,
मार्गदर्शन के लिए आपका आभार !!
bahut mulyewan vichar rakhe, aapne, mene kafi kuch ganth bandh liya ab, shukriyan share karne ke liye
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