16 नवंबर 2012

इल्म औ ईमान लेकिन घर-निकाला हो गया


2 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय डंडा जी,
    बहुत दिनों बाद आपकी रचना पढ़ी|वही ताजगी,वही तेवर|
    अपेक्षा के अनुसार ही चुटीली एवं उत्कृष्ट|प्रसंशनीय|
    साधुवाद एवं शुभकामनायें|
    सादर|
    -अरुण मिश्र.

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