-डा0 सुरेश उजाला
चिंगारी का प्रतीक है-क्रांति
क्रांति का प्रतीक है चिंगारी,
चिंगारी का काम-
आग लागाना
आग का काम-
राख बनाना
मेरा धंधा-
मेरा काम-जाग्रति
आग के बझानें से पहले-
बन जाता हूं-
चिंगारी
जहाँ भी हो-
आग बन चुकी है-
बुझने से पहले-चिंगारी
दृष्टान्त-
लगती-सुलगती-
दहकती-धधकती-
आग है-चिंगारी
बेलछी, नारायणपुर-
पिपरा, मुजफ्फर नगर-
मुजफ्फर पुर-साढ़ु पुर-
देहुली-जमशेदपुर,
मेहराना,
और
उसके बाद आजतक
न नजीर न लड़ाई
चिंगारी-
आग है, हक़ और सम्मान की
इसे जरूरत है-
सिर्फ हवा की
तब होगी-
तब्दील चिंगारी
आग में-आग राख में
फिर करेगी न्याय-
राख में दबी-चिंगारी,
बढ़िया रही चिंगारी!
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