22 दिसंबर 2010


   प्रेम   जहाँ   अंधा  है
चित्र गुगल से साभार
 

प्रेम   एक     गेम   है।
जिसका  शुभ  ऐम है॥

सपनों   से  सजा-धजा-
सुख-दुख  का  फ्रेम है।

हार - जीत   पर इसमें
होता  नो    क्लेम  है॥

परवानों  के   ख़ातिर-
ज्वाला है,   फ्लेम  है॥

प्रेम के बिना फिर भी-
कहाँ   कुशल-क्षेम है॥

पहले   लुटता  मूरख-
करता फिर  ब्लेम है॥

प्रेम     बेवफाई    को-
करता    कनडेम   है॥

प्रेम   जहाँ   अंधा  है-
वहीं  शेम  -  शेम है॥

सबके दिल   में "डंडा"
इसका    गुडनेम  है॥


11 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचना...अच्चा लगा पढ़कर

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  2. डा० साहब ! हिंगलिश कविता बड़ी सटीक लिखी है आपने ! एकदम यथार्थ वर्णन है ! बहुत अच्छा लगा !

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  3. ek ....
    apni hi tarah ki
    anokhee aur mazedaar gazal
    w a a h !!

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  4. प्रेम जहाँ अंधा है-
    वहीं शेम - शेम है॥

    सबके दिल में "डंडा"
    इसका गुडनेम है ..

    वाह क्या ग़ज़ल है ... आपने तो कमाल ही कर दिया ... नए नए काफिये तलाशे हैं ... बहुत खूब ...

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  5. बहुत खूब ...हमेशा की तरह ! शुभकामनायें !!

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  6. बहुत सटीक अभिव्यक्ति ..बेहतरीन ....शुभकामनायें

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