04 सितंबर 2010

बापू तेरे चेलों के............

    -डॉ० डंडा लखनवी
(चित्र-गुगल से साभार)

थू-थू,    थू-थू,   थू-थू,   थू।
जननायक   हैं   या   डाकू?

धोती   और    लंगोटी    पे-
क्यों  तुम  जीते   थे  बापू?

बापू      तेरे     चेलों     के-
चालचलन में क्यों  बदबू?

तुमने   सत्याग्रह   रक्खा-
ये    रखते    कट्टे- चाकू?

कहने   को  जनसेवक  ये-
किन्तु  वास्तव   में  पेटू?

खु़द   मनमाना  वेतन  लें-
जनता  को    देते    आँसू॥

था  वो  अनाज  भूखों  का-
वो  बोले  कि  सड़ जा तू॥

भूखी    जनता  चिल्लाती-
ये    पीते,   खाते   काजू॥

नेतागीरी     धंधा 
    क्या-   
उसमें   क्या  रक्खे  लड्डू?

युवा  हाथ  को  काम नहीं-
मंहगाई       है     बेकाबू॥

कहाँ    मीडिया   सोयी  है-

कहाँ  गया  उसका  जादू?

8 टिप्‍पणियां:

  1. सही कहा आपने आज बापू अपने चेलों को देख कर क्या सोचते होंगे पर चेले तो गुरु को भूल गए अच्छी रचना ,बधाई

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  2. बहुत बढ़िया,
    कृपया अपने बहुमूल्य सुझावों और टिप्पणियों से हमारा मार्गदर्शन करें:-
    अकेला या अकेली

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  3. shandar aevam jandar rachna ke liye badhai
    - aman agarwal "marwari"
    khatima

    जवाब देंहटाएं

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