-मनोज श्रीवास्तव
जन जीवन का आधार सतत वह ज्योति पुंज सविता ही है।
बंजर उपवन करने वाली जलधार स्रोत-सरिता ही है॥
जो राह दिखाती युग-युग से आक्रांत-क्लांत मानव मन को-
घनघोर तिमिर में आभा की वह एक किरण कविता ही है॥
जो चोटिल मन को सहला दे हम उसको कविता कह्ते हैं।
जो रोते बच्चे बहला दे हम उसको कविता कह्ते हैं॥
जिसको सुन रक्त शिराओं में बनकर लावा दौड़ने लगे-
जो चट्टानों को पिघला दे, हम उसको कविता कह्ते हैं।
जो राष्ट्र-धर्म का गान करे, हम उसको कविता कह्ते हैं।
जो जन-जन का उत्थान करे, हम उसको कविता कह्ते हैं॥
जिससे शोषित मानवता के आधारों पर लाली आ जाए-
जो दीपक को दिनमान करे, हम उसको कविता कह्ते हैं॥
कविता मन की गहराई है, कविता केवल परिहास नहीं।
कविता सम्पूर्ण चेतना है, कुछ शब्दों का विन्यास नहीं॥
हर युग में मानव के मन को प्रतिबिंबित यह करती आयी-
कविता इतिहास रचा करती, कविता केवल इतिहास नहीं॥
कविता का मर्म न इसमें है, बस हास और परिहास करे।
कर्तव्य कदापि नहीं कवि का कुछ शब्दों का विन्यास करे॥
जिस कवि-कविता ने ज्ञान दिया, अभियान दिया मानवता को-
उसको युग-युग तक नमन विश्व का गौरवमय इतिहास करे॥
मेरी कविता मोहताज नहीं आडंबर और छलावों की।
मेरी कविता मोहताज नहीं, प्रतिघातों और दुरावों की॥
मेरी कविता जन-मानस के भीतर उमंग उपजाती है।
मेरी कविता के बहने से चंदन की खुशबू आती है॥
मेरी कविता सुनने वाला दिनमान चलाता है जीवन।
हर भोर जगाता है कलियाँ, हर सुबह खिलाता है उपवन॥
मेरी कविता से ऊषा के गालों पर लाली आती है।
मेरी कविता अपने दम से अपना इतिहास बनाती है॥
2/78- विश्वास खंड,गोमती नगर,लखनऊ-226016
सचलभाष- 09452063924, 0522-2350955
अतिउत्तम
जवाब देंहटाएंजो मन का सारा हाल सुना दे, उसे कविता कहतें हैं...
जो उमड़ती-घुमड़ती भावनाओं से निजात दिला दे उसी को कविता कहते हैं...
कविता मन की गहराई है,कविता केवल परिहास नहीं।
जवाब देंहटाएंकविता सम्पूर्ण चेतना है,कुछ शब्दों का विन्यास नहीं॥
हर युग में मानव के मन को प्रतिबिंबित यह करती आयी-
कविता इतिहास रचा करती,कविता केवल इतिहास नहीं॥
बहुत ही सुंदर...भाव..शब्द विंयास और प्रस्तुतिकरण सभी स्तर पर बहुत खूबसरत रचना...बहुत अच्छा लगा पढ़कर, उम्मीद है आगे भी ऐसी और इससे भी बेहतर रचनाएं पढ़ने को मिलेंगी...बधाई
कविता के कर्म,मर्म एवं धर्म पर एक अच्छी कविता|कवि को बधाई|
जवाब देंहटाएं-अरुण मिश्र.
Gagar mey Sagar hai yeh kavita.
जवाब देंहटाएंwww.krantiswar.blogspot.com
कविता मन की गहराई है, कविता केवल परिहास नहीं।
जवाब देंहटाएंकविता सम्पूर्ण चेतना है, कुछ शब्दों का विन्यास नहीं........
सही कहा है.....
मन से निकली बात से ही कविता बनती है......
मन की गहराई से कही बात ही पढ़ने वाले के मन को छू सकती है ।
बहुत सुन्दर !
जवाब देंहटाएंजो चोटिल मन को सहला दे हम उसको कविता कह्ते हैं।
जो रोते बच्चे बहला दे हम उसको कविता कह्ते हैं॥
जो राष्ट्र-धर्म का गान करे, हम उसको कविता कह्ते हैं।
जो जन-जन का उत्थान करे, हम उसको कविता कह्ते हैं॥
मेरी कविता मोहताज नहीं आडंबर और छलावों की।
मेरी कविता मोहताज नहीं, प्रतिघातों और दुरावों की॥
मेरी कविता जन-मानस के भीतर उमंग उपजाती है।
मेरी कविता के बहने से चंदन की खुशबू आती है॥
बहुत सुन्दर छन्दोबद्ध रचना !