19 सितंबर 2010

कोने से कोने तक


-अशोक ऋषिराज दुबे

आदमी की आँखों में
आदमी का रक्त जमा
रोटी के टुकड़ों पर
भूखे का स्वप्न और-

स्वप्नों की महफिल में
मानव का यह समाज ?
वह समाज ?
क्षितिज पर कोलाहल रक्तिम हो-

यहाँ जमा वहाँ जमा
कोनों की दूरियों का
यह तनाव वह तनाव,
और तना और तना।

कोने से कोने को जोड़ दो,
सारे तनावों को तोड़ दो,
पहिए की परिधि पर-
विषमता का कालचक्र

समता के नामों में
एक नया नाम जुड़ा।
आदमी की आँखों में
आदमी का रक्त जमा।
("कोने से कोने तक" से साभार)

३२-चाणक्य पुरी, सेक्टर-१४ (पावर हाउस के निकट)
इंदिरा नगर, लखनऊ-२२६०१६


6 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
    --
    पढ़वाने के लिए आभार!

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