04 अप्रैल 2010
रामऔतार ‘पंकज’ के तीन मुक्तक
रामऔतार ‘पंकज’ के
तीन मुक्तक
(1)
कुछ अभागों के करों में भाग्य की रेखा नहीं है।
खट रहे दिन-रात उनके खटन का लेखा नहीं है।।
परवरिस का हाल बच्चों का भला कैसे बताये-
दिन में जिसने कभी अपना घर तलक देखा नहीं है।।
(2)
प्रिय वस्तु में आशक्ति का भी दायरा है।
श्रद्धेय में अनुरक्ति का भी दायरा है।।
दिल जोड़ने का वक्त है मत जहर घोलो-
प्रिय बन्धुओ! अभिव्यक्ति का भी दयारा है।।
(3)
ज़माने की नज़ाकत को सदा पहचानते रहिए।
कौन अपना-पराया है इसे भी जानते रहिए।।
राह निष्कंट मत समझें छिपे बम हों बहुत मुममिन-
तलाशी नज़र से सदैव दूध भी छानते रहिए।।
पता-५३९क/६५-विमला सदन
शेख पुर कसैला, नारायण नगर,
लखनऊ-२२६०१६
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ज़माने की नज़ाकत को सदा पहचानते रहिए।
जवाब देंहटाएंकौन अपना-पराया है इसे भी जानते रहिए।।
वाह क्या लिखा है सर आपने...
तलाशी नज़र से सदैव दूध भी छानते रहिए।।-इसका क्या अर्थ?
जवाब देंहटाएंमत के स्थान पर न होना चाहिये