04 अप्रैल 2010
दारू छुड़ा दीजिए
-डॉ० डंडा लखनवी
कल शाम इक शराबी गया डाक्टर के पास।
थोड़ा वो परेशान था, थोड़ा था बदहवास।।
बोला वो डाक्टर से- "नमन है जनाब को।
सुनता हूँ आप जल्दी छुड़ाते शराब को।।"
तब डाक्टर ने कहा कि लक्षण बताइए।।
"मैं नुस्खा लिख के दूंगा उसे आप खाइए।।"
बोला शराबी-"प्लीज आप यह न कीजिए।
थाने में बंद दारू मेरी छुड़ा दीजिए।।"
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Bahut khoob..Maza aaya padh kar...
जवाब देंहटाएंNeeraj
उसके लिए डाक्टर के पास जाने की क्या जरूरत थी...सीधे पुलिसवालों से ही सांठ गांठ कर लेते, वो कोन सा मना करते :-)
जवाब देंहटाएंबढिया प्रस्तुति!
आभार्!
नमस्ते सर, मस्त लिखा हुआ है...बेहद मजा आया पढ़ के...:)
जवाब देंहटाएंआनंद आया आज.
जवाब देंहटाएंमुझे याद है तक़रीबन १०-१२ साल पहले मैंने आपको एक पुस्तक में पढ़ा था. जिसका संयोजन व्यंग कवी प्रेम किशोर 'पटाखा' ने किया था. आज आपका ब्लॉग देख खुश हूँ.
- सुलभ
http://sulabhpatra.blogspot.com
सुलभ § सतरंगी जी!
जवाब देंहटाएंआपने सही फरमाया है।
आपकी टिप्पणी से मुझे बल मिला।
धन्यवाद! -डॉ० डंडा लखनवी
saadar namaskaar...
जवाब देंहटाएंvats ji ki baat me dum hai vaise hi jaise ki aap ke vayangya me...
kunwar ji,