22 अप्रैल 2010

माँ......

                                       -राजेन्द्र वर्मा


कभी  लोरी, कभी  सोहर, कभी   गीता  सुनाती है|
कभी
जब मौज में होती है माँ, तो  गुनगुनाती  है।

भले  ही  खूबसूरत  हो  नहीं   बेटा, पर  उसकी  माँ-
बुरी  नज़रों  से  बचने  को  उसे टीका  लगाती  है।

कोई सीखे   तो सीखे  माँ से बच्चा  पालने  का गुर,
कभी  नखरे  उठाती   है,  कभी  चांटा  लगाती  है।

भले  ही  माँ  के  हिस्से  में  बचे  बस  एक ही रोटी,
मगर  वो  घर  में सबको पेट भर रोटी खिलाती है।

सफलता पर मेरी माँ  घी का  दीपक बाल देती है,
कभी असफल हुआ तो वह मुझे ढांढस  बंधाती है।

न आता है  कभी बेटा, न  आती  है  कभी  चिठ्ठी,
फ़कत राजी खुशी की बात सुन माँ जी जुड़ाती है।

रहे   जबसे  नहीं  पापा,  हुई   माँ  नौकरानी-सी,
सभी   की आँख से बचके वो चुप आँसू बहाती है।

                                   3/29-विकास नगर,
                                    लखनऊ-226022






8 टिप्‍पणियां:

  1. क्या कहूँ... माँ ऐसी होती है.
    खूब कहा आपने(राजेन्द्र वर्मा जी)...

    आज ही तिलक जी के ब्लॉग पर माँ को पढ़ा.

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  2. बहुत सुन्दर रचना ... आपने तो मुझे भावबिभोर कर दिया है ... माँ की याद आ गई यह पढके, और फ़ौरन माँ को फोन किया ...

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  3. बहुत सुन्दर रचना। माँ ऐसी होती है,
    खूब कहा आपने।

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  4. आपकी टिपण्णी के लिए शुक्रिया... आपने जो भी बदलाव लिखे हैं उसके लिए मैं आभारी हूँ ... इससे ये पता चला की आप वाकई मेरे इस ग़ज़ल को पढ़े हैं और फिर उस बारे में सोचे हैं ... अपना कीमती वक्त से कुछ पल आपने मेरे लिए दिए ये मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है ... और अच्छा लगा कि बस कुछ बिना पढ़े, बिना सोचे बस "वाह वाही" देने के लिए आप नहीं आये थे ... इसी तरह हमेशा मार्गदर्शन करते रहे यही कामना है ... और आपका आशीर्वाद है तो उम्मीद है कि मै भी कुछ लिखना सीख लूँगा ...
    आपने जो सुधार किया है उसे मैंने शामिल कर लिया है ...

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  5. रहे जबसे नहीं पापा, हुई माँ नौकरानी-सी,
    सभी की आँख से बचके वो चुप आँसू बहाती है।

    बहुत गहरे में उतर गयी ये पंक्तियाँ ....बहुत सुंदर .....!!

    आपतो ग़ज़लों के महारथी हैं अपनी गज़लें नहीं डाली आपने ....!!

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  6. माँ शब्द को उँचे से उँचा मुकाम मिला है दुनिया में और आपकी ग़ज़ल ने उसे उस मुकाम पर बिठा दिया है ... कितनी लाजवाब ... हर शेर से लिपटने का मन करता है .. मन झूम झूम जाता है हर शेर पर ..

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  7. आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया! आपका सुझाव मुझे बेहद पसंद आया! मैं आपकी इस शायरी को ज़रूर प्रस्तुत करुँगी!
    बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!

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