25 जुलाई 2010

रामऔतार ‘पंकज’ की दो कुंडलिया

-रामऔतार ‘पंकज’
 
बाँटें  सब में  प्यार  नित, संतों  का  मत  मान।
प्यार  मिलेगा  मूल  में, ब्याज मान-सम्मान॥
ब्याज मान-सम्मान, कभी  परोक्ष भी मिलता।
माली   सीचे    मूल,  फूल   डाली  में  खिलता॥
कह ’पंकज’कर भेद, व्यक्ति में  व्यक्ति न छाँटें।
रख  समता   भाव, प्यार  जन-जन   में   बाँटें॥ 1


मत   बारूदी   खेल  से, करें  जगत  को   क्षार।
जग के  सब मानव  सगे, कुछ तो करें विचार॥
कुछ तो करें विचार, व्यक्ति  से  व्यक्ति  न बाँटें।
बैठे   हैं  जिस   डाल, भूल  कर  उसे  न  काटें॥
’पंकज’ करें  उपाय,  ज्योतिमय बने अनागत।
सब   में  हो  सदभाव, व्यक्ति  में भेद करें मत॥ 2


पता-539क/65-विमला सदन
शेखपुर कसैला, नारायण नगर,
लखनऊ-226016
सचलभाष-9532888894

1 टिप्पणी:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

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