- डॉ० डंडा लखनवी
संचार-तंत्र की आधुनिक तकनीकी के माध्यम से अभिव्यक्ति का एक सरल और अच्छा उपाय जनता के हाथ लगा है। बोलचाल की भाषा में इस उपाय को "ब्लागिंग" कहा जाता है। इसके द्वारा लोकवाणी अपने वास्तविक रूप में उभर रही है। आम आदमी की आप बीती इसमें मुखर हो रही है। उसकी आकांक्षाएं इसमें जन्म ले रही हैं जिनकी गूंज देश-विदेश सभी जगह पहुँच रही है। लोकवाणी किसी की मोहताज नहीं होती है। वह अपनी राह अपने आप बनाते हुए आगे बढ़ती है। ब्लाग-लेखन जैसे-जैसे गति पकडेगा इसका स्वरूप निर्धारित होता जाएगा।
आज बाजार हर जगह पर हावी है। प्रायः ऐसा देखा गया है कि अनेक बड़े अखबार और टी0वी0 चैनल वही राग अलापते हैं जो उनके प्रतिष्ठनों के मालिक पसंद करते हैं। उन चैनल पर ऐसी खबरें तड़का लगा कर प्रसारित की जाती हैं जो बिकाऊ होती हैं। उनमें विज्ञापनों के नाम परोसी जा रही फूहड़ता किसी से छिपी हुई नहीं है। राष्ट्रीय स्तर की साहित्यिक पत्रिकाएं अमूमन बंद हो चुकी हैं। शेष समाचार-पत्रों और पत्र-पत्रिकाओं में वही छपता है जो प्रभावशाली राजनीतिज्ञ अथवा पूंजीपति छपवाते हैं। इन पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले लेखकों और कवियों के अपने-अपने गुट और खेमें हैं। पाठकों को वही सब कुछ पढ़ने को मिलता है जो वे पढ़वाना चाहते हैं। आम कलमकार के लिए खेमाबाजों की व्यूह-रचना को भेद पाना संभव नहीं होता है । आज आवश्यकता है ब्लाग-लेखन को पीत पत्रकारिता के अवगुणों से मुक्त रखे जाने की।
ब्लाग लेखन की सार्थकता को देखते हुए इसका भविष्य उज्ज्वल दिखाई देता है। इसके माध्यम से सिद्ध किए जाने वाले प्रयोजनों की फ़ेहरिस्त बड़ी लम्बी है। इसके द्वारा उन लोगों को भी अपनी बात कहने का अवसर मिलता है जिनका अपना कोई मंच नहीं है। अनेक समर्थ रचनाकार मोटे-मोटे ग्रंथों की रचना करके संसार से कूच कर जाते हैं। अर्थाभाव के कारण वे अपना साहित्य सुधी पाठकों तक नहीं पहुँचा पाते हैं। उनके साहित्य को इसके माध्यम से प्रकाश में लाकर भावी पीढ़ी के लिए सुरक्षित भी रखा जा सकता है। ब्लाग-लेखन से आयु, जाति, धर्म, लिंग तथा क्षेत्रवाद की बाड़ें ढही हैं। आम जन को आपस में विचारों का साझा करने में ब्लागकारिता बड़ी कारगर सिद्ध हुई है। आगे चलकर पत्रकारिता के नए आयाम इसके माध्यम से खुलेंगे।
भाई पत्रकारिता के इस आयाम को हमारे बड़े भाईसाहब डॉ.रूपेश श्रीवास्तव जी ने एक नया सार्थक नाम दिया है वे इसे पत्राकारिताकहते हैं।
जवाब देंहटाएंअजय मोहन जी | आपको बहुत-बहुत धन्यवाद मेरी जानकारी में एक नए शब्द का इजाफ़ा हुआ।
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