29 जून 2010

संस्कार-गीत

 जन्म-दिन, तीज-त्योहार, पदोन्ति, परीक्षा में सफलता आदि अवसरों पर अपने यहाँ बधाई संदेशों के आदान-प्रदान करने की बहुत पुरानी परंपरा रही है। आजकल शादी की वर्षगाँठ मनाने का भी  खूब प्रचलन है। इसी बहाने वैवाहिक-जीवन के साथ-साथ सामाजिक संबंधों में मिठास घुलती है। उक्त अवसर पर वांछित दंपत्ति को बधाई एवं मंगल - कामना संदेश के लिए यह संस्कार - गीत अपने ब्लाग पर टाँक रहा हूँ।  यह आपके लिए उपयोगी हो सकता है। आपको यह गीत कैसा लगा अपनी सम्मति दीजिएगा।
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सुखद  हो  वैवाहिक जीवन।
                                                                -डॉ० डंडा लखनवी
अभी  उमंगें    नई -  नई   हैं,
सपन   अधूरे  अभी  कई   हैं,
अभी   है अधकच्चा  यौवन।
सुखद हो  वैवाहिक  जीवन॥


खाना - पीना,  हंसना - गाना,
बढे़  अमित आनन्द खजाना,
पुलकता  रहे सदा तन- मन।
सुखद  हो  वैवाहिक  जीवन॥


निकट  नहीं   आए   दुर्बलता,
अर्जित  करते  रहें   सफलता,
मुदित  हो  सारा  घर-आँगन।
सुखद  हो  वैवाहिक  जीवन॥
उम्र    बढे़   पर  बढे़   न   दूरी,
हो   चाहे   कितनी    मजबूरी,
दिनों-दिन  कसें  और  बंधन।
सुखद  हो  वैवाहिक  जीवन॥

4 टिप्‍पणियां:

  1. संस्कार गीतों का लोकजीवन में बड़ा महत्व रहा है। आजकल जरा- जरा सी बात पर बिखरते-टूटते जोड़ों को यह गीत प्रेरणा देगा। इस प्रयास के लिए बधाई।

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  2. नए जोड़ों के लिए आपका यह आशीर्वाद एक स्नेह प्रतीक के रूप में कामयाब रहेगा ! सादर

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  3. नोट कर लिया...जवानों को देने के काम आयेगा. :)

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  4. आप दोनों मनीषियों की सहजता के प्रति आभार..........

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