जन्म-दिन, तीज-त्योहार, पदोन्ति, परीक्षा में सफलता आदि अवसरों पर अपने यहाँ बधाई संदेशों के आदान-प्रदान करने की बहुत पुरानी परंपरा रही है। आजकल शादी की वर्षगाँठ मनाने का भी खूब प्रचलन है। इसी बहाने वैवाहिक-जीवन के साथ-साथ सामाजिक संबंधों में मिठास घुलती है। उक्त अवसर पर वांछित दंपत्ति को बधाई एवं मंगल - कामना संदेश के लिए यह संस्कार - गीत अपने ब्लाग पर टाँक रहा हूँ। यह आपके लिए उपयोगी हो सकता है। आपको यह गीत कैसा लगा अपनी सम्मति दीजिएगा।
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-डॉ० डंडा लखनवीसुखद हो वैवाहिक जीवन।
अभी उमंगें नई - नई हैं,
सपन अधूरे अभी कई हैं,
अभी है अधकच्चा यौवन।
सुखद हो वैवाहिक जीवन॥
खाना - पीना, हंसना - गाना,
बढे़ अमित आनन्द खजाना,
पुलकता रहे सदा तन- मन।
सुखद हो वैवाहिक जीवन॥
निकट नहीं आए दुर्बलता,
अर्जित करते रहें सफलता,
मुदित हो सारा घर-आँगन।
सुखद हो वैवाहिक जीवन॥
उम्र बढे़ पर बढे़ न दूरी,
हो चाहे कितनी मजबूरी,
दिनों-दिन कसें और बंधन।
सुखद हो वैवाहिक जीवन॥
संस्कार गीतों का लोकजीवन में बड़ा महत्व रहा है। आजकल जरा- जरा सी बात पर बिखरते-टूटते जोड़ों को यह गीत प्रेरणा देगा। इस प्रयास के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंनए जोड़ों के लिए आपका यह आशीर्वाद एक स्नेह प्रतीक के रूप में कामयाब रहेगा ! सादर
जवाब देंहटाएंनोट कर लिया...जवानों को देने के काम आयेगा. :)
जवाब देंहटाएंआप दोनों मनीषियों की सहजता के प्रति आभार..........
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