-रवीन्द्र कुमार ’राजेश’
बात रखने के लिए हँस- हँस के मर जाते हैं लोग।।
हर मुसीबत में खड़े रहते थे वे चट्टान से,
इक ज़रा सी चोट से अब तो बिखर जाते हैं लोग।।
इक जु़बाँ और उस जुबाँ की बात का कुछ था वज़न,
किस तरह अब बात से अपनी मुकर जाते हैं लोग।।
कह दिया अपना जिसे, उसके सदा के हो गए,
काम निकला,चल दिए, ऐसे अखर जाते हैं लोग।।
सामने सब कुछ हुआ देखा मगर सब चुप रहे,
वह इधर मारा गया लेकिन उधर जाते हैं लोग।।
टूटता जाता है जीने का भरम ’राजेश’ का,
आजकल अपने ही साये तक से डर जाते हैं लोग।।
’पद्मा कुटीर’
सी-27, सेक्टर- बी,
अलीगंज स्कीम, लखनऊ-226024
फोन: 0522-2322154
इक ज़रा सी चोट से अब तो बिखर जाते हैं लोग।।
इक जु़बाँ और उस जुबाँ की बात का कुछ था वज़न,
किस तरह अब बात से अपनी मुकर जाते हैं लोग।।
कह दिया अपना जिसे, उसके सदा के हो गए,
काम निकला,चल दिए, ऐसे अखर जाते हैं लोग।।
सामने सब कुछ हुआ देखा मगर सब चुप रहे,
वह इधर मारा गया लेकिन उधर जाते हैं लोग।।
टूटता जाता है जीने का भरम ’राजेश’ का,
आजकल अपने ही साये तक से डर जाते हैं लोग।।
’पद्मा कुटीर’
सी-27, सेक्टर- बी,
अलीगंज स्कीम, लखनऊ-226024
फोन: 0522-2322154
हौसला करने का हो, क्या कर गुज़र जाते हैं लोग।
जवाब देंहटाएंबात रखने के लिए हँस- हँस के मर जाते हैं लोग।।
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति है!
सामने सब कुछ हुआ देखा मगर सब चुप रहे,
जवाब देंहटाएंवह इधर मारा गया लेकिन उधर जाते हैं लोग।।
तल्ख़ सच्चाई से रूबरू करवाते शेरों से सजी ये ग़ज़ल बेजोड़ है...शुक्रिया आपका इसे हम तक पहुँचाने के लिए...राजेश जी को बधाई..
नीरज
सुन्दर प्रयास।
जवाब देंहटाएं--------
रूपसियों सजना संवरना छोड़ दो?
मंत्रो के द्वारा क्या-क्या चीज़ नहीं पैदा की जा सकती?
हर मुसीबत में खड़े रहते थे वे चट्टान से,
जवाब देंहटाएंइस ज़रा सी चोट से अब तो बिखर जाते हैं लोग।।
bahut achchhi lagi ghazal.doosari pankti par aapka dhyan chahoonga.
भाई प्रेम फ़र्रुखाबादी जी। आपने जो संकेत किया है
जवाब देंहटाएंउसके लिए आभारी हूँ। "इक" के स्थान पर "इस"
टाइप था। मैंने उसे सुधार दिया है।
सद्भावी- डॉ० डंडा लखनवी
वाह बेहतरीन।
जवाब देंहटाएं--सुन्दर गज़ल है राजेश जी की. परन्तु कुछ भाव-भ्रन्श( काल दोष) है यथा--सबसे पहले शेर में वर्तमान की बात है, वर्तमान के लोगों की प्रशंसा की गई है----
जवाब देंहटाएं-"हौसला करने का हो,क्या कर गुज़र जाते हैंलोग।
बात रखने के लिए हँस- हँस के मर जाते हैं लोग।।"
---जबकि आगे सभी शेरों में भूतकाल की प्रशन्सा व वर्तमान के लोगों की गिरावट की बात है।