29 नवंबर 2010

 प्रसिद्ध साहित्यकार  सत्यकाम "शिरीष"










सत्यकाम "शिरीष" का चर्चित गीत "नहीं सच हो सका सपना" उन्हीं के स्वर में सुनिए।

21 नवंबर 2010

 भूर्ण-हत्या पर कवि रामबहादुर ’पिंडवी’ का लोकगीत

   
कवि रामबहादुर ’पिंडवी’ 
से भोजपुरी  में उनका मार्मिक लोकगीत सुनिए

14 नवंबर 2010

चर्चित गीतकार श्री शिवभजन "कमलेश"
का काव्य-पाठ




नई और पुरानी पीढ़ी के बीच होने वाले वैचारिक मतभेदों पर आधारित विचारपरक गीत "कोई अर्थ नहीं निकलेगा" को चर्चित गीतकार श्री शिवभजन "कमलेश" से उनके स्वर में आस्वादन कीजिए।


11 नवंबर 2010

लेखक,  संपादक,  समीक्षक, भाषाविद, प्राध्यापक  साहित्यभूषण    डॉ० रामाश्रय सविता से उनका बहुचर्चित गीत "आँसुओं है मना" सुनिए।




        
                           डॉ० रामाश्रय सविता के स्वर में उनका काव्य-पाठ

08 नवंबर 2010


 
        

दिवाली  मुबारक
             

                   -डॉ० डंडा लखनवी

नई   रोशनी   नव,  प्रणाली    मुबारक।
दिवाली   मुबारक,   दिवाली   मुबारक॥

हुए  खेल   ही   खेल   में  खेल  कितने-
"फ्री - इंडिया"   में    दलाली  मुबारक॥


प्रधानी   मिली  चन्द  कट्टों  के बल  पे-
दिवाली  में   आई    दुनाली  मुबारक॥



सभी   काम  उनके  हैं   होते  फटाफट-
तुम्हारे   में      हीलाहवाली   मुबारक॥



ओबामा जी  लाए  दिवाली  का तोहफ़ा-
मिले जो  भी  डाली  वो डाली मुबारक॥

गबन  में  हुए  थे जो  परसों  मुअत्तल-
हुई   आज   उनकी   बहाली  मुबारक॥

घर  आई  हुई  "लक्ष्मी" का है स्वागत-
अगर वो है "काली" तो काली मुबारक॥

असरदार गण के  हैं सरदार "गणपति"-
सभी  छवियाँ उनकी निराली मुबारक॥