28 अगस्त 2011
14 अगस्त 2011
*****जय महापर्व पन्द्रह अगस्त
-डॉ० डंडा लखनवी
जय हो, जय हो, मंगलमय हो, जय महापर्व पन्द्रह अगस्त।
जय महापर्व पन्द्रह अगस्त।।
घर - घर में बजी बधाई थी,
आजादी जिस दिन आई थी,
पुरखों ने जिसकी प्राणों से-
क़ीमत संपूर्ण चुकाई थी,
उस स्वतंत्रता की रक्षा में नित रहना होगा सजग - व्यस्त।
जय हो, जय हो, मंगलमय हो, जय महापर्व पन्द्रह अगस्त॥
आजादी के उपहार मिले,
मन चाहे करोबार मिले,
खुल गए गुलामी के बंधन-
जन - जन को बहु अधिकार मिले,
कर्तव्य किए बिन, याद रहे! अधिकार स्वत: होत निरस्त।
जय हो, जय हो, मंगलमय हो, जय महापर्व पन्द्रह अगस्त॥
हम हिंदू सिख ईसाई हैं,
मुस्लिम हैं, बौद्ध - बहाई हैं,
बहुपंथी भारत वासी हम-
आपस में भाई - भाई हैं,
सारे अवरोध हटा कर हम, पथ अपना करते ख़ुद प्रशस्त।
जय हो, जय हो, मंगलमय हो, जय महापर्व पन्द्रह अगस्त
(नोट : आजादी की स्वर्णजयंती दि० १५-८-१९९७ को डी-डी-१ से संगीतबद्ध रूप में प्रस्तुत रचना।)
जय हो, जय हो, मंगलमय हो, जय महापर्व पन्द्रह अगस्त।
जय महापर्व पन्द्रह अगस्त।।
घर - घर में बजी बधाई थी,
आजादी जिस दिन आई थी,
पुरखों ने जिसकी प्राणों से-
क़ीमत संपूर्ण चुकाई थी,
उस स्वतंत्रता की रक्षा में नित रहना होगा सजग - व्यस्त।
जय हो, जय हो, मंगलमय हो, जय महापर्व पन्द्रह अगस्त॥
आजादी के उपहार मिले,
मन चाहे करोबार मिले,
खुल गए गुलामी के बंधन-
जन - जन को बहु अधिकार मिले,
कर्तव्य किए बिन, याद रहे! अधिकार स्वत: होत निरस्त।
जय हो, जय हो, मंगलमय हो, जय महापर्व पन्द्रह अगस्त॥
हम हिंदू सिख ईसाई हैं,
मुस्लिम हैं, बौद्ध - बहाई हैं,
बहुपंथी भारत वासी हम-
आपस में भाई - भाई हैं,
सारे अवरोध हटा कर हम, पथ अपना करते ख़ुद प्रशस्त।
जय हो, जय हो, मंगलमय हो, जय महापर्व पन्द्रह अगस्त
(नोट : आजादी की स्वर्णजयंती दि० १५-८-१९९७ को डी-डी-१ से संगीतबद्ध रूप में प्रस्तुत रचना।)
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