- डॉ० डंडा लखनवी
औषधि भ्रष्टाचार की, बस चरित्र - निर्माण।
ये ही रक्षा - कवच है, यही राम का वाण॥2
जब चरित्र निर्माण की, बात गए सब भूल।
लोकपाल होगा नहीं, होगा ऐप्रिल - फूल॥1औषधि भ्रष्टाचार की, बस चरित्र - निर्माण।
ये ही रक्षा - कवच है, यही राम का वाण॥2
मैंने पूछा प्रश्न तो, साध गए वे मौन।
लोकपाल कल दूध का, धुला बनेगा कौन?3
चोट कहाँ है कहाँ पर, चुपड़ रहे वो बाम।
यूँ वोटर की शक्ति वे, कर देंगे नीलाम॥6
निर्णय करें विवेक से, मुद्दा बड़ा ज्वलंत।
जनता के प्रतिनिधि प्रमुख, याकि स्वयंभू संत॥7
रहा अंधविश्वास का, विज्ञानों से बैर।
लोकपाल कल दूध का, धुला बनेगा कौन?3
जहाँ राज्य - संसाधनों, का हो बंदर - बांट।
वहाँ कष्ट बौने सहें, मारे मौज़ विराट॥4डेमोक्रेसी बन गई, दे - माँ - कुर्सी - जाप।
जटिल रोग उपचार में, साधू झोला छाप॥5
जटिल रोग उपचार में, साधू झोला छाप॥5
चोट कहाँ है कहाँ पर, चुपड़ रहे वो बाम।
यूँ वोटर की शक्ति वे, कर देंगे नीलाम॥6
निर्णय करें विवेक से, मुद्दा बड़ा ज्वलंत।
जनता के प्रतिनिधि प्रमुख, याकि स्वयंभू संत॥7
रहा अंधविश्वास का, विज्ञानों से बैर।
कदम बढ़ाता ज्ञान जब , छलिया खीचें पैर ॥8