22 दिसंबर 2010


   प्रेम   जहाँ   अंधा  है
चित्र गुगल से साभार
 

प्रेम   एक     गेम   है।
जिसका  शुभ  ऐम है॥

सपनों   से  सजा-धजा-
सुख-दुख  का  फ्रेम है।

हार - जीत   पर इसमें
होता  नो    क्लेम  है॥

परवानों  के   ख़ातिर-
ज्वाला है,   फ्लेम  है॥

प्रेम के बिना फिर भी-
कहाँ   कुशल-क्षेम है॥

पहले   लुटता  मूरख-
करता फिर  ब्लेम है॥

प्रेम     बेवफाई    को-
करता    कनडेम   है॥

प्रेम   जहाँ   अंधा  है-
वहीं  शेम  -  शेम है॥

सबके दिल   में "डंडा"
इसका    गुडनेम  है॥


17 दिसंबर 2010






जब उनकी डिग्री देखी





पक्के       वो        मनमानी   में।
डिप्लोमा            शैतानी      में॥


कभी  -  कभी     वो    जेल  चले-
जाते      हैं        मेहमानी    में॥


कई      बार    
हैं     लड़े    मगर-
हार     गए       परधानी      में॥


चमक      रहे       काले     धंधे-
चमचों     की    निगरानी    में॥


चोर,   उचक्के,   रहजन       हैं-
खुश      उनकी   कप्तानी   में॥


मीलों    भूमि    दबाए  फिर भी-
 
चर्चित      हैं      भूदानी     में॥


चाह   रहे    हैं   नाम    जोड़ाना-
स्वतंत्रता         सैनानी       में॥
 

जब    उनकी      डिग्री    देखी-
एम०ए०      जहरखु़रानी     में॥



12 दिसंबर 2010

चित्र cartoonindore.blogspot.com से साभार



















तीन मुक्तक




(1) मंहगाई


मंहगाई    हरजाई    है
करती जेब - सफाई है॥
कोई   नेता   क्यों   बोले-
उनके   लिए   मलाई है॥


(2) लोकतंत्र


तुमने जिसको वोट दिया।
उसने कर विस्फोट दिया॥
मौका   पाया  लोकतंत्र का-
गला   जोर  से घोट दिया॥


(3) डेंगू


वे   वतन  को  चर रहे  हैं।
पेट अपना   भर   रहे   हैं॥
खैर   मांगे    उनसे    डेंगू -
मरने   वाले   मर   रहे हैं॥