जब उनकी डिग्री देखी
डिप्लोमा शैतानी में॥
कभी - कभी वो जेल चले-
जाते हैं मेहमानी में॥
कई बार हैं लड़े मगर-
हार गए परधानी में॥
चमक रहे काले धंधे-
चमचों की निगरानी में॥
चोर, उचक्के, रहजन हैं-
खुश उनकी कप्तानी में॥
मीलों भूमि दबाए फिर भी-
चर्चित हैं भूदानी में॥
स्वतंत्रता सैनानी में॥
जब उनकी डिग्री देखी-
एम०ए० जहरखु़रानी में॥
जवाब देंहटाएंसुबह सुबह खराब कर दी आपने नेता पूजा करके ...
हमें भी हाथ जोड़ कर खड़ा रहना पड़ा न आपके पीछे इस खल वंदना में...
मगर बड़े भाई के पीछे तो रहना ही है !
शुभकामनायें
wah!
जवाब देंहटाएंchhoti bahar ki gazal me karara aur karnpriy vyang..
bahut badhiya laga.
गजब की डिग्री।
जवाब देंहटाएं---------
दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर।
बेहतरीन डंडा साहब...बधाई स्वीकारें...
जवाब देंहटाएंनीरज
कभी - कभी वो जेल चले-
जवाब देंहटाएंजाते हैं मेहमानी में॥
क्या बात है डंडा जी.सुन्दर व्यंग है.
बहुत बढिया डंडा चलाया साहब
जवाब देंहटाएंवाह वाह
शुभकामनाये
डॉ डंडा जी, बहुत ही बढ़िया व्यंग्यात्मक ग़ज़ल है .. हर एक शेर एकदम लाजवाब है ... हमारे देश और समाज में यही तो होता है, यही हकीकत है ..
जवाब देंहटाएंmeree samjh me ye hee hai dhardar paina lekhan.......itnee khoobsooratee se likh jana sab ke bas kee baat nahee.......
जवाब देंहटाएंAabhar.......
kshnikae bhee teeno ek se bad kar ek hai.
आपकी टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत साधुवाद! सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
जवाब देंहटाएंgazab likha hai...
जवाब देंहटाएंmere blog par bhi sawagat hai..
Lyrics Mantra
thankyou
आदरणीय डंडा साहब जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
........बढ़िया व्यंग्यात्मक ग़ज़ल है ..
Amazing... Thanks For Coming on My Blog!!!
जवाब देंहटाएंRAM