25 अक्तूबर 2011

ज्योति-पर्व हार्दिक मंगलकामनाओं सहित...........


                                      - डॉ० डंडा लखनवी

मोटे -- मोटे रैट हों, जिस -------बंगले  के पास।
गण-पति जी का समझिए, उसमें आज
निवास॥1
 
लक्ष्मी  वाहन  को  कभी,  कहिए  नहीं उलूक।
वे रखते पिस्तौल अरु,  रायफलें ------ बंदूक़॥2


लक्ष्मी जी का वाहन = उलूक, उल्लू, आधुनिक वाहन और ड्राइवर हाईटेक हैं.                                               गणपति जी का वाहन = चूहा, आधुनिक वाहन और ड्राइवर हाईटेक हैं.

09 अक्तूबर 2011

बोध-बिहार


               

     

     
-डॉ० डंडा लखनवी

 



क्रोध -बोध  के बीच  में, चलता  सतत विरोध।
बोध-नाश पर क्रोध हो, क्रोध-विजय पर बोध॥

तीन  बुद्ध  की  ’शरण’ हैं, पाँच  बुद्ध के ’शील’।
तीन- पाँच से दुख सभी, सुख  में  हों तब्दील॥
 
'डंडा'  बोध - बिहार के, चिंतन   का  यह सार।
वधस्थलों  पर हो सकी,’अवध’  भूमि तैयार॥

पंच - शील से  जब  घटी, पंच -  मकारी  मार।
’डंडा’  तब  संसार में, चमका  अवध - बिहार॥

स्वर्ण  अक्षरों  में  मिला,  दर्ज़ा   जिसे  विशेष।
जहाँ न  वध का नाम था, वो
था अवध  प्रदेश॥

दसो  इंद्रियों  का जहाँ, बहा  सुमति   का  नीर।
गोमति का चिर अर्थ है, इंद्रिय - निग्रह   धीर॥

’डंडा’  फैजाबाद   है, अवध  -  शब्द   अनुवाद।
अवध  हमारी   संस्कृति, वध  करता  बरबाद॥

शरण= त्रिशण, शील= पंचशील, वधस्थल= बलि देनेके स्थान, पंच-मकार= मन - विचलन के पाँच आकर्षण, सुमति= अच्छा चिंतन, गोमति=चिंतन का सार, इंद्रिय-निग्रह=इंद्रियों पर नियंत्रण, धीर= धीरज, फ़ैजाबाद= आपदा मुक्त स्थान, अवध,