19 जुलाई 2011

*****चाहने वाले उसके बुढ़ा जाएंगे

                -डॉ० डंडा लखनवी
पंगई        दंगई,       लुच्चई,     नंगई।
हर   जगह  बढ़  गई  आजकल  वाक़ई॥

अब   है  मौसम  का  कोई  भरोसा नहीं-
मार्च  में    जनवरी,  जनवरी   में   मई॥

भा   गया   हैरीपाटर   नई   पौध      को-
धूल   खाती    किनारे    कहीं  सतसई॥

जिसको  देखो  वो  सपने में ही बक रहा-
मुंबई,      मुंबई,         मुंबई,     मुंबई॥

राजा  दसरथ  अगर   आज  कोई   बना-
नोच  डालेगी   अब   की   उसे    केकई॥

गलियों-गलियों में करके सुना एमबीए.-
लड़की-लड़के   कहें   ले   दही,  ले  दही॥

प्यार     आहें     भरे  पहरेदारी    में  जो-
तो   मोबाइल  के  जरिए  मिले  चंगई॥

चाहने    वाले    उसके    बुढ़ा     जाएंगे-
नई   दिल्ली   रहेगी   नई    की    नई ॥