-डा0 गिरीश कुमार वर्मा
गणतंत्र दिवस जब आता है, हम सबका मन हरसाता है।
यह दिन जनता के शासन की, सबको तारीख बताता है।।
कल शिक्षा के उपहार न थे,
समरसता के आधार न थे,
गिनती सबकी थी दासों में-
मिलते मौलिक अधिकार न थे,
नव भारत का नव संविधान मौलिक अधिकार दिलाता है।
यह दिन जनता के शासन की सबको तारीख बताता है।।
जो कल था वो है आज नहीं,
गिरती सामंती गाज नहीं,
अंग्रेज यहाँ से गए चले-
है यहाँ ‘क्वीन’ का राज नहीं,
जनता का प्रतिनिधि जनता से चुनकर संसद में जाता है।
यह दिन जनता के शासन की सबको तारीख बताता है।।
यह तोहफा बड़ा सुहाना है,
इसका सम्मान बढ़ाना है,
यह पर्व नहीं है महापर्व-
मिलजुल कर इसे मनाना है,
खुद जियो और को जीने यह दिन युगबोध कराता है।
यह दिन जनता के शासन की सबको तारीख बताता है।।
आओ हम सब नाचे गाएं,
निज प्रेम परस्पर बरसाएं,
अम्बर में चक्र युक्त अपना-
ध्वज अमर तिरंगा लहराएं,
जिसके सम्मुख अति श्रद्धा से मस्तक सबका झुक जाता है।
यह दिन जनता के शासन की सबको तारीख बताता है।।
गणतंत्र दिवस जब आता है, हम सबका मन हरसाता है।
यह दिन जनता के शासन की, सबको तारीख बताता है।।
कल शिक्षा के उपहार न थे,
समरसता के आधार न थे,
गिनती सबकी थी दासों में-
मिलते मौलिक अधिकार न थे,
नव भारत का नव संविधान मौलिक अधिकार दिलाता है।
यह दिन जनता के शासन की सबको तारीख बताता है।।
जो कल था वो है आज नहीं,
गिरती सामंती गाज नहीं,
अंग्रेज यहाँ से गए चले-
है यहाँ ‘क्वीन’ का राज नहीं,
जनता का प्रतिनिधि जनता से चुनकर संसद में जाता है।
यह दिन जनता के शासन की सबको तारीख बताता है।।
यह तोहफा बड़ा सुहाना है,
इसका सम्मान बढ़ाना है,
यह पर्व नहीं है महापर्व-
मिलजुल कर इसे मनाना है,
खुद जियो और को जीने यह दिन युगबोध कराता है।
यह दिन जनता के शासन की सबको तारीख बताता है।।
आओ हम सब नाचे गाएं,
निज प्रेम परस्पर बरसाएं,
अम्बर में चक्र युक्त अपना-
ध्वज अमर तिरंगा लहराएं,
जिसके सम्मुख अति श्रद्धा से मस्तक सबका झुक जाता है।
यह दिन जनता के शासन की सबको तारीख बताता है।।
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