28 अगस्त 2014

जैसी अंटी चाउमिन.....



नव  - आगंतुक सभी के,  चूम  रहे  हैं लिप्स।
जैसी   अंटी  चाउमिनवैसे  अंकल   चिप्स॥

अंडों  में  मत  कीजिए,  मुर्गों  की   पहचान!
बहुत लोग  कहते  उसे, आलू   की   संतान

कैसे   दोनों    में  बना, रहे     प्रेम  महफूज़
बीवी   नन्हीं  रसभरी,  बड़े  मियां  तरबूज़

जीवन  सारा  खा गई, बैंक लोन  की  किस्त।
ख़त्म न लेकिन हो सकीं, चाहों  की  फ़ेहरिश्त॥

गर्मी  में  बिजली  बिना, कूलर - एसी  फेल।
गरमाहट  पा निकलता, निरा बदन का तेल??

2 टिप्‍पणियां:

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