मज़बूरी
-डा० सुरेश उजाला
लाचार-मज़बूर-अशक्त
असहाय -विवश-कमजोर
दीन-हीन-बेबस आदि
नाम हैं-मज़बूरी के |
क्योंकि-
मज़बूरी-
करा देती है-
सब कुछ
दुनिया में |
पहना देती है-
उतरन
खिला देती है-
जूठन |
कर देती है- नंगा
उतारू-
बुरे से बुरे
काम करने को
बना देती है अधीन
दूसरों की
हाँ में हाँ मिलाने को |
जिसके कारण-
खो बैठता है-
स्वाभिमान
आदमी-शनै:-शनै: |
और
हो जाता है ग्रसित
हीन भावना से |
अतएव
मज़बूरी नाम है-
मज़बूर का-
दासता का-
धरती पर |
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108-तकरोही, पं० दीनदयाल पुरम मार्ग,
इंदिरा नगर,
लखनऊ-226016, सचलभाष-09451144480
सच्चाई कहती अच्छी रचना...
जवाब देंहटाएंआपने रचना पढ़ी और उस पर बेबाक टिप्पणी की, धन्यवाद । - उजाला
जवाब देंहटाएंमंगलवार 06 जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है आभार
जवाब देंहटाएंhttp://charchamanch.blogspot.com/
और व्यर्थ बदनाम करने लग जाते हैं लोग उदाहरण देते हुए बापू का "मजबूरी का नाम महात्मा गांधी"। सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसच्ची खरी रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंनीरज
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