06 दिसंबर 2012

जब-जब झाडू...


3 टिप्‍पणियां:

  1. गत १६, नवम्बर से लगातार आप के शानदार,
    जानदार एवं वज़नदार दोहे पढ़ने को मिल रहे हैं|
    इधर आपके व्यंग्य की धार और पैनी हुई है|
    भगवान इसी तरह आपके लेखनी की धार तेज रखे|
    शुभकामनायें|
    -अरुण मिश्र.

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  2. दो पंक्तियों के लिए केवल एक शब्द "उम्दा "

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