पहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ आपकी टिपण्णी के लिए और सुन्दर शायरी के लिए! आपकी टिपण्णी के वजह से मेरे लिखने का उत्साह दुगना हो जाता है! अफ़जाही के लिए शुक्रिया! मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है - http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने और आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है! बधाई!
सुन्दर रचना है ... आजकल हमारे देश में अफसरशाही इस कदर हावी है कि सारी व्यवस्था ही तबाह हो गई है !
जवाब देंहटाएंरोचक और स्पष्ट या कहें कि डंडा का लखनवी डंडा
जवाब देंहटाएंपहले तो मैं आपका तहे दिल से शुक्रियादा करना चाहती हूँ आपकी टिपण्णी के लिए और सुन्दर शायरी के लिए! आपकी टिपण्णी के वजह से मेरे लिखने का उत्साह दुगना हो जाता है! अफ़जाही के लिए शुक्रिया! मेरे इस ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है -
जवाब देंहटाएंhttp://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने और आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है! बधाई!
अच्छा व्यंग किया है आपने अफसरशाही व्यवस्या पर लखनवी जी।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया रचना!
जवाब देंहटाएंसतसय्या के दोहरे जैसी लगी यह रचना!
मारक भाषा है आपकी डॉ साहब ! शुभकामनायें !
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