28 मई 2010

राजनैतिक टोटका

                                  -डंडा लखनवी
स्वामी दयानंद सरस्वती महापुरुष थे। उनके हृदय में भारतीय समाज में व्याप्त असमानता और अज्ञानतावादी कैंसर को दूर करने की अतीव उत्कंठा थी। उन्होंने उसका प्रयास किया। उनके तप से समाजिक व्यवस्था में कुछ सुधार भी हुआ परन्तु वे सुधार चिर स्थायी न रह सके। कुछ लोग धर्म और समाज में व्याप्त विद्रूपताओं को संधर्ष करके दूर करने  की अपेक्षा सत्ता की मलाई चाटने में आगे रहते हैं। वे जानते हैं कि धर्म को सत्ता-शीर्ष पर पहुँचने की सीढ़ी बड़े आसानी से बनाया जा सकता है। भारत की भोली-भाली जनता उनके झाँसे मे आ जाती है। आजादी के पहले और आजादी के बाद यह टोटका बराबर अपनाया जाता रहा है। आगे भी इस टोटके को अपनाए जाने की प्रबल संभावनाएं हैं। ऐसे लोग किसी भी सप्रदाय के हों उनसे सावाधान रहने की आवश्यकता है।


3 टिप्‍पणियां:

  1. आजके ज़माने में पूरा राजनैतिक तबका उपरोक्त टोटका को ही अपनाये हुए हैं ... आपका लेख प्रासंगिक है ....

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  2. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! इस उम्दा पोस्ट के लिए बधाई!

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  3. ---यह तो सदा होता है---तो इस आलेख में स्वामी दयानन्द सरस्वती केसंदर्भ/ उल्लेख का क्या अर्थ व आवश्यकता है, सिर्फ़ भारत नहीं दुनिया भर की जनता एसी ही होती है, भैया!

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