जिस्म लोहूलुहान  भी  तो   है.........
 - नवीन शुक्ल
                                                     - नवीन शुक्ल 
एक    लम्बी    उड़ान  भी   तो  है।
इसलिए  कुछ  थकान  भी तो है।।
जंग     जीती     ज़रूर    है   हमने -
जिस्म   लोहूलुहान   भी   तो   है॥
हौसला     चाहिए     मुसीबत    में-    
जि़न्दगी   इम्तिहान   भी  तो   है॥
मुश्किलों    मे   भी  डालता   है  वो-
पर   ख़ुदा  मेहरबान   भी   तो   है॥   
आँख   के    सामने  तो  मंजिल  है -
फ़ासला    दरमियान    भी  तो  है॥
हलचलों  मे  यहाँ   की  शामिल हूँ-
उस  तरफ  का रुझान  भी  तो है।।
कह  के  ये  काट  दी  हमारी   बात-
मुँह   में  अपने  जु़बान  भी  तो है॥
फड़फड़ाये    न   क्यों    परिंदा  ये-
ऐ 'नवीन'  इन   में जान भी तो है॥
                
227-विजय नगर कालोनी,
कानपुर रोड, लखनऊ-226019
सचलभाष-9415094950
 
 
 
          
      
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
Well crafted verse. Congrats!
जवाब देंहटाएं- Arun Mishra.
अति सुन्दर.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता.
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