14 जुलाई 2010

जिस्म लोहूलुहान भी तो है.........

                                                     - नवीन शुक्ल

एक    लम्बी    उड़ान  भी   तो  है।
इसलिए  कुछ  थकान  भी तो है।।

जंग     जीती     ज़रूर    है   हमने -
जिस्म   लोहूलुहान   भी   तो   है॥

हौसला     चाहिए     मुसीबत    में-   
जि़न्दगी   इम्तिहान   भी  तो   है॥

मुश्किलों    मे   भी  डालता   है  वो-
पर   ख़ुदा  मेहरबान   भी   तो   है॥  

आँख   के    सामने  तो  मंजिल  है -
फ़ासला    दरमियान    भी  तो 
है॥

हलचलों  मे  यहाँ   की  शामिल हूँ-
उस  तरफ  का रुझान  भी  तो है।।

कह  के  ये  काट  दी  हमारी   बात-
मुँह   में  अपने  जु़बान  भी  तो है॥

फड़फड़ाये    न   क्यों    परिंदा  ये-
ऐ 'नवीन'  इन   में जान भी तो है॥

               




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